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IPL में 8.3 लाख करोड़ की सट्टेबाजी! इतना पैसा इधर-उधर हो रहा कि UPI भी परेशान हो गया, पढ़ें रिपोर्ट

IPL Betting: भारत में हर साल IPL के दौरान करीब 100 अरब डॉलर से अधिक की गैरकानूनी बेटिंग होती है. ये सट्टेबाज़ी ज्यादातर विदेशी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से होती है.

IPL Betting: भारतीय प्रीमियर लीग (IPL) जहां एक ओर क्रिकेट प्रेमियों के लिए मनोरंजन और रोमांच का स्रोत है, वहीं दूसरी ओर यह भारत के बैंकिंग सिस्टम के लिए तकनीकी चुनौतियों का मौसम बन चुका है. इस टूर्नामेंट के दौरान होने वाली अवैध और वैध सट्टेबाज़ी गतिविधियों ने बैंकों के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर जबरदस्त दबाव बना दिया है.

बैंकिंग सिस्टम पर सट्टेबाजी का सीधा असर

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर साल IPL के दौरान करीब 100 अरब डॉलर (लगभग 8.3 लाख करोड़) से अधिक की गैरकानूनी बेटिंग होती है. ये सट्टेबाज़ी ज्यादातर विदेशी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से होती है, जो भारतीय नागरिकों को क्रिप्टोकरेंसी और ‘म्यूल अकाउंट्स’ के जरिए सेवाएं प्रदान करती हैं.

हालांकि, भारत में वैध रूप से कार्यरत फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स जैसे Dream11 और प्रेडिक्शन मार्केट Probo भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. इनके माध्यम से लोग असली धनराशि के साथ मैच-आधारित शर्तें लगाते हैं, जिसके लिए बैंकों को UPI नेटवर्क के माध्यम से तुरंत और सुरक्षित ट्रांजैक्शन सुनिश्चित करना पड़ता है.

UPI की क्षमता पर भारी ट्रैफिक का दबाव

भारत का UPI सिस्टम दुनिया का सबसे बड़ा रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन चुका है, जो सालाना 3 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 250 लाख करोड़) से अधिक के लेन-देन को संभालता है. IPL सीजन में ट्रांजैक्शनों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है, जिससे सर्वर पर लोड और फ़ेल्यर रेट बढ़ जाते हैं.

हर महीने नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा बैंकों के ‘फेल्योर रेट’ की रिपोर्ट जारी की जाती है, जिससे ग्राहकों को यह तय करने में मदद मिलती है कि उन्हें किस बैंक में खाता रखना चाहिए.

ट्रांजैक्शन पर बढ़ती निगरानी 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी बैंकों की डिजिटल परफॉर्मेंस और साइबर सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. ऐसे में बैंक अब बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एनालिटिक्स कंपनियों का सहारा ले रहे हैं. बेंगलुरु स्थित VuNet Systems जैसे स्टार्टअप्स हर दिन करीब 1 अरब ट्रांजैक्शन पर नजर रखते हैं और प्रति दिन लगभग 50 टेराबाइट डेटा प्रोसेस करते हैं.

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